डेयरीकिसान बछड़ों की न करें अनदेखी, आगे यही भरेंगे मुनाफे से आपकी झोली

डेयरीकिसान बछड़ों की न करें अनदेखी, आगे यही भरेंगे मुनाफे से आपकी झोली

डेरी फार्म की सफलता बछड़ों/ बछियों की उचित देखभाल और बेहतर सेहत पर टिकी होती है क्योंकि यही फार्म का भविष्य होते हैं । बछड़ों को शुरुआत से ही पोषण उपलब्ध कराना उनके तेजी से विकास और जल्दी परिपक्वता दिलाने के लिए अच्छा होता है| अपने यौवन काल के समय उनसे पूरी उत्पादकता पाने के लिए उन्हें शुरू से ही सावधानी से पाला जाना चाहिए ।आपकी गाय-भैंस ब्याने वाली है, तो अभी से कर लें तैयारी । आइये, इस Blog में विस्तार से जानते हैं ।

बछड़े का आहार

बछड़े के जन्म के शुरुआती तीन महीनों में उसके आहार का खास ध्यान रखें। जन्म के कुछ घंटे बाद अगर बछड़ा दूध न पी पाए तो उसे उठाकर दूध पिलाने में मदद करें। ध्यान रहे, बछड़े को पहला आहार खीस ही मिले, जो कि गाय के ब्याने के 3 से 7 दिन बाद तक भी बनती रहती है। खीस बछड़े के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है । कोशिश करें कि जन्म के तीन दिन बाद तक खीस ही दें ।

मां का दूध किसी भी बच्चे के लिए रामबाण है । इसलिए बछड़े को भी कम से कम 3 से 4 सप्ताह मांका दूध जरूर पीने दें। इसके बाद आप आगे चाहें तो बछड़े को कुछ हल्का चारा देना शुरू कर सकते हैं। कोशिश करें कि हरे चारे की जगह सूखा चारा दें। बछड़े को पीने का पानी साफ दें। बस, इतना ध्यान रखें कि वो अधिक मात्रा में पानी न पिए । आगे चलकर करीब 3 महीने बाद बछड़े को आप मक्खन निकाला हुए दूध के साथ ही छाछ, दही, मीठा पानी, दलिया आदि दे सकते हैं।ये उत्तम आहार (best calf diet) हैं ।

बीमारियों से बचाव

बछड़े के वजन की समय – समय पर जांच करते रहें। साथ ही टीकाकरण करवाते रहें । डेयरी किसान जानते हैं कि गाय के बछड़े का जन्म के समय वजन 20 से 25 किलोग्राम और भैंस के बछड़े का वजन 24 से 30 किलोग्राम होता है। अब वो कितने तंदुरुस्त बैल या गाय-भैंस बनेंगे, ये उनकी देखभाल पर निर्भर है।अक्सर, समय बीतने के साथ बछड़े यौवन काल के पूरे वजन को हासिल नहीं कर पाते । इसकी वजह है शुरुआत में ही कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाना । जैसे – निमोनिया, टायफाइड, पेट में कीड़े होना, अतिसार (diarrhea), नाभि का सड़ना, मुंह व खुर की बीमारी इत्यादि । इसलिए उन्हें इससे बचाये रखने के लिए कई उपाय करने होते हैं।

घातक हैं कुछ संक्रमण

आमतौर पर बछड़े किसी तरह के संक्रमण (Infection) से लड़ने में बहुत सक्षम नहीं होते । खासकर गर्मियों के मौसम में किलनी (Tick) बछड़ों का खून तक चूस लेती हैं । इन्हें ‘कुटकी’ या’ चिचड़ी’ भी कहते हैं। ये बहुत से संक्रमणों को भी अपने साथ लाते हैं, जैसे – Lyme disease, Q-Fever या Babesiosis आदि।उन्हें वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाते हैं या फिर वे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं । यही वजह है प्रारंभिक अवस्था में अधिकांश बछड़ों की मृत्यु की वजह कुपोषण या संक्रमण ज्यादा होते हैं । इससे पशुपालक को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है ।

‘रिफिट’ का ‘काफसखा’ दें

ऐसे में बीमारी या मृत्यु की संभावना को खत्म करने के लिए उन्हें पोषण पूरक (Best nutritional supplements for caves) की जरूरत होती है । Refit Animal Care का CALF SAKHA लिक्विड टॉनिक उन्हें इन समस्याओं से बचाये रखता है।इसमें विभिन्न आवश्यक पोषक तत्व हैं जिन्हें बढ़ते बछड़ों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं (Nutritional Requirements of Calves) को पूरा करने के लिए अनोखे ढंग से संयोजित किया गया है। ये एनीमिया और कमज़ोरी के लिए भी प्रभावी उपाय है । ये एक असाधारण रूप से प्रभावी फ़ीड सप्लीमेंट है जोबढ़ते बछड़ों के बेहतर स्वास्थ्य और विकास (Better health and growth of calves) को बढ़ावा देता है। इसे उपयोग करना भी बहुत आसान है और दूध या पानी में मिलाया जा सकता है।

 

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